बढ़ाएं आती है आएं,
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के निचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते- हंसते,
आग लगकर जलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.
Devendra Fadnavis
(Feed generated with FetchRSS)
बढ़ाएं आती है आएं,
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के निचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते- हंसते,
आग लगकर जलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.
Devendra Fadnavis
(Feed generated with FetchRSS)