स्लमब्वॉय से स्लमगॉड बना किंशु कुमार
एक बाल मजदूर के रूप में अपना जीवन शुरू करने वाला अगर मैकेनिकल इंजीनियर बनने जा रहा हो, तो निश्चित रूप से वह असहायों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के पुरीकटरा के लालडेगी मोहल्ला के स्लम में जन्म लेने वाले किंशु की जीवन कहानी कुछ ऐसी ही है। किंशु जब मात्र 6 साल का था तभी से परिवार की आजीविका चलाने के लिए उसे कार को साफ करने और घरेलू बाल मजदूर के काम में लगा दिया गया था। लेकिन किंशु को ‘’बचपन बचाओ आंदोलन” के कार्यकर्ताओं द्वारा बाल मजदूरी से मुक्त कराकर जब ‘’बाल आश्रम” लाया गया तब उसकी दुनिया ही बदल गई। ‘’बाल आश्रम” में आकर किंशु को अपना सर्वांगिण विकास करने का अवसर मिला। आज वह इंजीनियर बनने की डगर पर है। साथ ही बतौर एक बाल अधिकार प्रवक्ता राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय है।
किंशु उस समय चर्चा में आया जब उसे श्री अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किया गया ‘’कौन बनेगा करोड़पति” के सीजन समारोह में देखा गया। किंशु को उस समारोह में श्रीमती सुमेधा कैलाश और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी का साथ देने के लिए श्री बच्चन ने मंच पर बुलाया। गौरतलब है कि 6 नवंबर, 2017 को सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर यह कार्यक्रम प्रसारित किया गया था।
किंशु का बचपन स्लम में बीता। पढ़ाई-लिखाई और खेल-कूद की बात ही दूर थी। यह बात किंशु के पिता को सालती रहती थी। ऐसे में उन्हें एक दिन ‘’बाल आश्रम” के बारे में जानकारी मिलती है और वे ‘’बचपन बचाओ आंदोलन” (बीबीए) के कार्यकर्ताओं के संपर्क में आते हैं। किंशु के पिता बीबीए के सहयोग से अपने लाडले को बाल मजदूरी के जंगल से मुक्त कराने में सफलता प्राप्त करते हैं।
‘’बाल आश्रम” में किंशु का एक नई दुनिया से परिचय होता है। वह वहां अपने खोए हुए बचपन को पाता है। उसे वहां पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने और जीवन को संवारने का अवसर मिलता है। शिक्षा के प्रति उसकी गहरी दिलचस्पी जगती है। आश्रम में मात्र 6 महीने की अनौपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही किंशु का दाखिला पास के ही एक सरकारी स्कूल में चौथी क्लास में हो जाता है। इसके बाद वह पीछे मुड़कर नहीं देखता है और लगातार आगे ही बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त है।
बाल अधिकारों पर बोलने और सलाह के लिए किंशु को दुनियाभर से बुलावे आते रहते हैं। वह अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में 2007 में बाल मजदूरी और शिक्षा संबंधी बैठक को भी संबोधित कर चुका है। यूरोपियन यूनियन (ईयू) की एक उच्चस्तरीय समिति में वह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर भी भाषण दे चुका है। किंशु को डच सरकार और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की ओर से भी आमंत्रित किया जा चुका है। किंशु द हेग में 2010 में आयोजित ग्लोबल चाइल्ड लेबर कॉन्फ्रेंस में 6 करोड़ असहाय और वंचित बच्चों का प्रतिनिधित्व करते हुए शिरकत कर चुका है। दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में 2016 में “लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन सम्मिट” का जब आयोजन किया गया, तो उसके गोलमेज पर चर्चा में भाग लेने के लिए किंशु को भी बतौर एक युवा प्रतिनिधि की हैसियत से आमंत्रित किया गया था। किंशु 11 सितंबर, 2017 से 16 अक्टूबर 2017 तक नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में बाल यौन शोषण और दुर्व्यापार के खिलाफ निकाली गई देशव्यापी ‘’भारत यात्रा” में भी मुख्य यात्री की हैसियत से शामिल हो चुका है। ये सारी गतिविधियां और घटनाएं एक ओर जहां किंशु के व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं, वहीं दूसरी ओर ये उसे आत्मविश्वासी भी बनाती हैं।
किंशु अपने कॉलेज की अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से भाग लेता रहता है। इस संदर्भ में किंशु ने अपने कॉलेज में “जज्बा” नामक एक पहल की भी शुरुआत की, जो पड़ोसी गांवों के कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए एक नि:शुल्क ट्यूटोरियल है। वर्तमान में “जज्बा” के माध्यम से 1 से 12 तक की कक्षा के 150 बच्चे नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
किंशु से जब सवाल किया गया कि आपको इतना कुछ करने की प्रेरणा कहां से मिलती है? तो वह कहता है-‘’मैं आज जो कुछ भी हूं सब भाईसाहेब श्री कैलाश सत्यार्थी और भाभीजी श्रीमती सुमेधा कैलाश की बदौलत हूं। उन्हीं के द्वारा स्थापित ‘’बाल आश्रम’’ में मुझे पनाह मिला और आगे बढ़ने का लगातार अवसर मिल रहा है।’’
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