गरीबों के नाम पर हमने राजनीति नहीं की, काम किया।
सेक्युलरिज्म के नाम पर सम्प्रदायवाद करने वालों को अब परिणाम सामने दिख रहा है। अपनी डूबती नैया बचाने के लिए वे संप्रदाय विशेष से वोट मांगते फिर रहे हैं।
असल चिंता का विषय यह है कि जो अपने आप को सेक्युलरिज्म का ठेकेदार मानते हैं, वे चुप हैं।
दैनिक जागरण को दिए इंटरव्यू में मैंने कई विषयों पर विस्तार से अपनी बातें रखीं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू:
डिक्शनरी में जितने कड़वे और गंदे शब्द होंगे वो सब मेरे बारे में बोले गये लेकिन दुख इस बात का है कि देश का स्वतंत्र म…..
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